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Rajsthan milk culture

राजस्थान की अर्थव्यवस्था मुख्य रुप से कृषि और पशुपालन पर टिकी हुई है। राजस्थान में ज्यादातर लोग ग्रामीण क्षेत्र में निवास करते हैं ‌ राजस्थान भारत में दुग्ध उत्पादन में 2 स्थान पर है। राजस्थान में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन  जयपुर, अलवर, श्रीगंगानगर में होता है। न्यूनतम दुग्ध उत्पादन बांसवाड़ा में होता है।  कुल पशु सम्पदा 5 करोड़ 77 लाख है। मुख्य स्त्रोत राजस्थान में दुग्ध उत्पादन के मुख्य स्त्रोत गाय, भैंस, बकरी, ऊंट, भेड़ है। इनके दुध से घी,पनीर,छाछ, दही बनाया जाता है। जो बहुत अच्छा होता है। गाय के मुकाबले भैंस अधिक दुध देती है। लेकिन गाय के दूध में अधिक वसा और प्रोटीन होता है। राजस्थान में प्रतिवर्ष लगभग 108.78लाख लीटर दूध होता है। राजस्थान एक शुष्क प्रदेश है। राजस्थान में ग्रामीण क्षेत्र में अनेक डेयरी फार्म खोले गए है। ताकि लोगों को पूरा लाभ हो lture.blogspot.com राजस्थान में लोग दुध के साथ पशुओं के गोबर से खाद भी बनाते हैं। जो कृषि के लिए बहुत लाभदायक है। इससे गोबर गैस प्लांट भी बनाते हैं। गाय की नस्लें  1-गिर -अजमेर, चितोड़गढ , भीलवाड़ा 2-राठी- श्रीगंगानगर, बीकानेर, जै

आइए जाने अपने बीकानेर । के बारे में

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बी राजस्थान का एक जिला है। जो थार के मरुस्थल के बीच में स्थित है। यह एक गर्म जिला है , यहां का तापमान गर्मी में 45 डिग्री के आसपास रहता है।  बीकानेर बीकानेर की स्थापना राव बीका जी द्वारा 1488 ईस्वी में की गई थी इसका प्राचीन नाम जांगल प्रदेश था यहां के राजा को "जांगल बादशाह" कहा जाता था बीकानेर राजस्थान के उत्तर-पश्चिम में स्थित है। बीकानेर की सीमा पाकिस्तान से 168 km लगती है।जो राजस्थान के सभी जिलों में से कम है। बीकानेर का कुल क्षेत्रफल लगभग 27000वर्ग किलोमीटर है। । बीकानेर में दर्शनीय स्थल  मुकाम(नोखा) यह नोखा में स्थित एक गांव है। जहां विश्नोई समाज के देवता जाम्भोजी द्वारा समाधी ली गई है। यहां प्रतिवर्ष फाल्गुन मास की अमावस्या को मेला भरता है।ये पर्यावरण विभाग पशु-पक्षियों के रक्षक थे इनके  समाज में आज भी पशु-पक्षियों का संरक्षण किया जाता है। देशनोक(बीकानेर)  यह मां करणी का मंदिर है। यहां सफेद और काले रंग के चुहे पाये जाते हैं। सफेद चूहों को काबा कहते हैं। यहां प्रतिवर्ष नवरात्र में मेला भरता है। देश के विभिन्न भागों से श्रद्धालु आते हैं। यहां की मान्यता है कि सफेद चूहों क

गणगौर तीज क्या है।

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गणगौर तीज एक व्रत है जो एक त्योंहार के रुप में मनाया जाता है। यह राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योंहार खास कर राजस्थान में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह राजस्थान का एक लोकप्रिय त्योंहार है।  गणगौर तीज  गणगौर तीज होली के 16 दिन बाद आता है। यह चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया(मार्च माह) को मनाया जाता है।   गणगौर का अर्थ है-गण का अर्थ है-शिव , गौर का अर्थ है-पार्वती । इसमें ईसर और गौर की पूजा की जाती है। इन्हें शिव और पार्वती का रुप माना जाता है।  यह त्योंहार इसलिए मनाया जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने पार्वती को अंखण्ड सौभाग्यवती का आशीर्वाद दिया था जो गौरा ने सभी स्त्रीयों जो इस पूजन को करती है, उन्हें दिया।  गणगौर कैसे मनाते हैं। यह त्योंहार होली के दुसरे दिन से शुरू हो जाता है और पूरे 16  दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें जिस घर में गौर होती है वहां रोज शाम को नाच गाना होता है। बनोरा  निकालते हैं। और मिठाई का भोग लगाते हैं। 8दिन पहले कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर घर पर गौर और ईसर को बनाया जाता है।  गौर और ईसर को दही जुवांरै

Maharana Pratap ki story

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Maharana Pratap rajsthan ke sbse surveer shasak the . Inhe rajsthan ka gorv kaha jata h . Aaj hum Rana Pratap k prakrm or sahs kaare me baat krenge.   Maharana Pratap ka janam 9 may 1540 ko kumbhalgarh durg ke badal Mahal me huaa tha. unke pita ka naam   udaisingh tha. Unki Mata ka naam jaiwanta Bai tha . Inka rajyabhishek 28 February 1572 ko gogunda me Holi ke din huaa tha. Tb inki umra 32 varsh thi. inka vivah 1557 me ajab deh panwar k sath huaa.  1570 Ad , Akbar ne nagor me darbar lgaya jisme mevad k alawa adiktr rajputon ne adhinta swikar KR li.  Akbar ne maharana Pratap se adhinta swikar KR wane ke liye apne duto ko bheja. 1. Jalal Khan - 1572 me Pratap k pass bheja gya. 2. Mansingh- June   1573 me bheja . 3. Bhagwant das-   oct.1573 me bheja.  4. Todarmal-   December 1573 me bheja. Lekin Rana Pratap ne adhinta swikar nhi ki . Is Karan Akbar ne maharana Pratap ko yudh ke dwara bandi bnane ki yojna bnai. Jo ajmer ke kile me bnai gyi.is kile ko angrejo k smay  megnij ka Kila  kaha j

Aaiye Jane Rajsthan ke Jaisalmer jile k baare mein

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आज हम आपको राजस्थान के जैसलमेर जिले के बारे में बात करेंगे। राजस्थान भारत का सबसे बड़ा राज्य है।   राजस्थान का इतिहास बहुत ही गौरवशाली रहा है।   आईये हम आपको राजस्थान के जिलों के बारे में जानकारी देते है। जैसलमेर  जैसलमेर राजस्थान का सबसे बड़ा जिला हैं। जैसलमेर की स्थापना राव जैसल ने की थी इस जिले को स्वर्ण नगरी कहा जाता है। यह एक गर्म जिला हैं।  इस जिले में सर्वाधिक ऊंट पाये जाते है।  यहां पर रेतीले धोरें है। जो इस जिले की खास बात है। यह राजस्थान का सबसे बड़ा जिला है। इस जिले की सीमा पाकिस्तान से लगती है। यहां पर जैसलमेर किला है। जिसे सोनार किले किला या गोल्डन फोर्ट भी कहा जाता है।  https://lture.blogspot.com/2020/06/learn-rajsthan-culture.html?m=1 जैसलमेर का यह किला रात की रोशनी में बहुत सुंदर दिखाई देता है। इस किले की स्थापना राव जैसल द्वारा  त्रिकूट पर्वत पर की गई है।  रेतीले टीले यहां   की विशेषता है इस कारण यहां पर ज्यादातर ऊंट पाये जाते है । जब इन धोरौ पर डलते सुरज की किरणें पड़ती है। तो यह मिट्टी सुनहरी दिखाई देती है।  यह तस्वीर जैसलमेर की मिट्टी की खुबसूरती बयां कर रही है।   म

Learn rajsthan culture

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        Rajsthan culture is very good and there are many fastivals .... So, today, I am telling you about shravan teej. राजस्थान में यह त्यौंहार बहुत पृसिद प्रसिद्ध है, यह त्यौंहार खास कर कुंवारी लड़कीयों के द्वारा मनाया जाता है । अपने अच्छे वर को पाने के लिए यह  व्रत किया जाता है , यह विवाहित औरतो द्वारा भी किया जाता है  । राजस्थान में यह खास कर जयपुर में मनाया जाता है।