गणगौर तीज क्या है।
गणगौर तीज एक व्रत है जो एक त्योंहार के रुप में मनाया जाता है। यह राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, मध्यप्रदेश आदि राज्यों में पुरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्योंहार
खास कर राजस्थान में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
यह राजस्थान का एक लोकप्रिय त्योंहार है।
गणगौर तीज
गणगौर तीज होली के 16 दिन बाद आता है। यह चैत्र शुक्ल पक्ष तृतीया(मार्च माह) को मनाया जाता है।
गणगौर का अर्थ है-गण का अर्थ है-शिव , गौर का अर्थ है-पार्वती । इसमें ईसर और गौर की पूजा की जाती है। इन्हें शिव और पार्वती का रुप माना जाता है।
यह त्योंहार इसलिए मनाया जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने पार्वती को अंखण्ड सौभाग्यवती का आशीर्वाद दिया था जो गौरा ने सभी स्त्रीयों जो इस पूजन को करती है, उन्हें दिया।
गणगौर कैसे मनाते हैं।
यह त्योंहार होली के दुसरे दिन से शुरू हो जाता है और पूरे 16 दिन बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें जिस घर में गौर होती है वहां रोज शाम को नाच गाना होता है। बनोरा निकालते हैं। और मिठाई का भोग लगाते हैं। 8दिन पहले कुम्हार के घर से मिट्टी लाकर घर पर गौर और ईसर को बनाया जाता है। गौर और ईसर को दही जुवांरै से पानी के साथ छींटे दिये जाते हैं। साथ ही कोई चांदी की चीज दी जाती है । गणगौर तीज वाले दिन विवाहित महिला और कुंवारी लड़कीयां व्रत रखती है। विवाहित महिला अपने अंखण्ड सुहाग के लिए और कुंवारी लड़कीयां अच्छे वर की कामना के लिए यह व्रत रखती है।
चैत्र शुक्ल द्वितीया को ईसर और गौर का पूर्ण श्रृंगार किया जाता है। इस त्योहार में कुल 8 कुंवारी लड़की और एक विवाहित महिला होती है। जो इस पूजन को पूर्ण करती है। और शाम को गौर और ईसर का विसर्जन किया जाता है। जहां गौर रहती है वो उसका मायका है। जहां विसर्जन किया जाता है वो ससुराल होता है।
गणगौर क्यों मनाते हैं।
इसके पीछे एक कहानी है एक समय की बात है पार्वती जी ने शिवजी के लिए तपस्या की , पार्वती जी शिव को अपने पति के रुप में पाना चाहती थी तो उन्होंने ने कई
वर्षों तक तपस्या की , तब भगवान शिव ने प्रसन्न होकर दर्शन दिए और कहा कोई एक वरदान मांगलो ,तो उन्होंने भगवान शिव को अपने पति के रूप में मांगा। तो शिव ने यह वरदान देते हुए अंखण्ड सौभाग्यवती भव: का आशीर्वाद दिया , जो माता पार्वती ने यह वरदान उन स्त्रियों को दिया ,जो इस प्रकार अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखेंगी और अच्छे वर की कामना करेंगी ।
गणगौर तीज की झांकियां
गणगौर तीज की बहुत ही सुन्दर और अच्छी झांकियां निकाली जाती है । बिकानेर की चांदमल झांकी बहुत ही प्रसिद्ध है। औरतें नाच गाना करती है। जयपुर की झांकी भी बहुत ही अच्छी झांकियां निकाली जाती है।
घुमर की जाती है। उदयपुर में अदभुत झांकी होती है।
गांव में औरतें ढोल नगाड़ों के साथ ईसर और गौर की
झांकी निकालते हुए विसर्जन वाले स्थान पर लेकर जाती है। और विसर्जन करते हैं।
अन्य मान्यता
गांव में एक यह मान्यता भी है कि जब विसर्जन किया जाता है अगर ईसर गिर जाये तो वहां गणगौर तीज चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनायी जाती है।
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